श्री साई बाबा का समाधी वाला दिन

साईं बाबा अपने अंतिम दिनों में अपने भक्तो से धार्मिक पुस्तके पढवाते थे और उन्हें उस पुस्तक का आंतरिक ज्ञान समझाते थे .
शिर्डी साईं बाबा समाधी यह हर दिन सुबह और शाम को होता था .
8 अक्टूम्बर 1918  वाले दिन बाबा साई बहूत कमजोर हो गये . वे मस्जिद की दीवार पर बैठ गये. आरती और पूजा रोज की तरह होती थी .
साईं बाबा के पास भक्तो को जाने नही दिया जा रहा था बाबा बीमार जो हो गये थे .

कुछ लोग एक चीते के साथ गाँव में आये कुछ तमाशा दिखा कर पैसा कमाने
चीता भी बीमारी की वजह से कमजोर हो गया था . जब चीता बाबा के सामने आया तब साई बाबा ने उस बीमार चीते की आँखों में देखा . चीते ने भी बाबा को इस तरह देखा की वो कह रहा हो की हे साई बाबा मुझे अब मुक्ति दिला दो इस दुनिया से . चीते की आँखों में आंसू थे . बाबा ने उस चीते की मदद उसकी मुक्ति के साथ की .

बाबा साई अपने अंतिम दिनों में दिनों दिन कमजोर होते जा रहे थे .पर उन्होंने अपने इस बीमारी में भी अपने भक्तो से मिलना उन्हें उड़ी देना उन्हें ज्ञान देना नही छोड़ा. वे तो अपना सबकुछ पहले से ही अपने भक्तो के नाम कर चुके थे .
उनके सभी भक्त बाबा की बीमारी से बहूत दुखी थी और प्रार्थना कर रहे थे की साई बाबा जल्दी ठीक हो जाए

मंगलवार १५ अक्टूबर १९१८ विजयदशमी का दिन था साई बाबा बहूत कमजोर हो गये थे . रोज की तरह भक्त उनके दर्शन के लिए आ रहे थे
साईं बाबा उन्हें उड़ी प्रसाद दे रहे थे भक्त बाबा से ज्ञान भी प्राप्त कर रहे थे पर किसी भक्त ने नही सोचा की आज बाबा के शरीर का अंतिम दिन है .
सुबह की ११ बज गयी थी .
दोपहर की आरती का समय हो गया था और उसकी त्यारियां चल रही थी कोई देविक प्रकाश बाबा के शरीर में समां गया
आरती शुरू हो गयी और बाबा साई का चेहरा हर बार बदलता हुआ प्रतीत हुआ . बाबा ने पल पल में सभी देवी देवताओ के रूप के दर्शन अपने भक्तो को कराये वे राम शिव कृष्णा वितल मारुती मक्का मदीना जीसस क्राइस्ट के रूप दिखे
आरती पूर्ण हुई .
बाबा साईं ने अपने भक्तो को कहा की अब आप मुझे अकेला छोड़ दे .
सभी वहा से चले गये साई बाबा के तब एक जानलेवा खांसी चली और खून की उलटी हुई . तात्या बाबा का एक भक्त तो मरण के करीब था वो अब ठीक हो गया उसे पता भी न चला की वो किस चमत्कार से ठीक हुआ है वह बाबा को धन्यवाद देने बाबा के निवास आने लगा पर बाबा का सांसारिक शरीर तो यही रह गया था .
साईं बाबा ने कहा था की मरने का बाद उनके शरीर को बुट्टी वाडा में रख दिया जाए वो अपने भक्तो कि हमेशा सहयता करते रहेगें.

साई समाधी मंदिर बना बुट्टी वाडा

आज शिरडी में जो साई बाबा का समाधी मंदिर है , वही जगह  बुट्टी वाडा हुआ करता था | बाबा की इच्छा पर उनके अंतिम शरीर को उसी स्थान पर दफनाया गया और फिर उसके ऊपर साई बाबा की मूर्ति तैयार की गयी | आज दुनियाभर से भक्त बाबा के समाधी और उनकी मूर्ति के दर्शन करने दूर दूर से आते है |

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