शिरडी के साई बाबा की महिमा
आज भारत में बच्चा बच्चा साई बाबा के बारे में जानता है और देश के प्रसिद्ध मंदिरों में साई बाबा का समाधी मंदिर अपनी एक पहचान बनाये हुए है |
जिन्होंने अपना ६० साल से भी ज्यादा का समय शिर्डी गाँव में गुजार दिया . वे एक भारतीय योगी संत फखिर थे जिनके पास ह्रदय में दया और आद्यात्मिक शक्तियां थी |
इन्होने अविश्वसनीय चमत्कार अपने भक्तो के हित के लिए किये और हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय उनपे अटूट विश्वास और श्रद्दा रखते थे |
आज साईं बाबा के भक्त दुनिया भर से है , उन्होंने अपने भक्तो को मानवीय रिश्तो की अलग ही परिभाषा समझाई . हिन्दू मुस्लिम दोनों सम्रदाय के बीच इन्होने प्यार बढाया. दोनों संप्रदाय के त्यौहार दोनों संप्रदाय मिलझुल के बड़ी धूम धाम से मनाते है . साईं बाबा ने तो अपने निवास वाली मस्जिद का नाम भी द्वारकामाई (भगवन कृष्णा की भूमि ) रख लिया था .
साईं बाबा का एक प्रसिद्ध नारा था सबका मालिक एक है .
साई बाबा की महिमा और इतिहास
शिर्डी आने के बाद अपने तेजस्वी चेहरे और अपने मानवीय और आधात्मिक रीतियों से वे सभी शिर्डी वासियों के दिलो में समाने लग गये . उन्होंने लोगो के बीच रहकर उनका दुःख जाना ही नहीं अपितु निवारण भी किया | साईं बाबा द्वारकामाई की मस्जिद में रहे और वहा एक अनवरत हवन कुण्ड में अग्नि जलाई , उस अग्नि की भस्म जिसे उड़ी के नाम से जाना गया , समस्त बीमारियों से निजात दिलवाने वाली असीम शक्ति की परिचायक है | यह साईं बाबा की चमत्कारी उड़ी बड़े से बड़े रोगों का निधान करने में सहायक थी | साईं बाबा के भक्तो में क्या हिन्दू क्या मुस्लिम | उनका एक ही धर्म था वो है सच्ची मानवता | साईं बाबा को क़ुरान और गीता की भी ज्ञान था |